‘आज़ाद’ की कहानी एक युवा आज़ाद की जिंदगी पर आधारित है, जो अन्याय के खिलाफ लड़ता है। लेकिन कहानी में नई कोई बात नहीं है। यह पुराने फॉर्मूले को ही दोहराती है, जिसमें हीरो की एंट्री, विलेन से टकराव और अंत में जीत शामिल है। कहानी में गहराई और नवीनता की कमी दर्शकों को बांध नहीं पाती।
एक्शन और डायलॉग
फिल्म में एक्शन सीन्स को लेकर काफी प्रचार किया गया था, लेकिन ये सीन्स भी खास प्रभाव नहीं छोड़ पाए। कुछ सीन्स ऐसे हैं जो बिना किसी लॉजिक के सिर्फ हीरो को ग्लोरिफाई करने के लिए डाले गए हैं। डायलॉग्स भी कमजोर हैं और दर्शकों को जोड़ नहीं पाते।
अभिनय और निर्देशन
अमन देवगन ने अपने डेब्यू में पूरी मेहनत की है, लेकिन उनका अभिनय अनुभवहीन लगता है। उन्हें अपने किरदार को और बेहतर तरीके से पेश करने की जरूरत है। फिल्म का निर्देशन भी कमजोर है, जिसकी वजह से फिल्म की पेसिंग और कहानी का फ्लो प्रभावित हुआ है।
संगीत और टेक्निकल पहलू
फिल्म का संगीत भी खास नहीं है। गाने यादगार नहीं बन पाए और फिल्म के मूड के साथ फिट भी नहीं होते। टेक्निकल पहलुओं जैसे सिनेमैटोग्राफी और एडिटिंग में भी कमी नजर आती है।
निष्कर्ष
‘आज़ाद’ एक ऐसी फिल्म है जो अपने पुराने फॉर्मूले और कमजोर निर्देशन की वजह से दर्शकों को पूरी तरह से एंटरटेन नहीं कर पाती। अगर आप एक बेहतरीन एक्शन ड्रामा की तलाश में हैं, तो यह फिल्म आपके लिए नहीं है। अमन देवगन को अपने करियर में आगे बढ़ने के लिए बेहतर स्क्रिप्ट और निर्देशन की जरूरत है।